Sunday 17 December 2017

आँखों में पानी रहे न रहे...

दो कदम ऐ मुहब्बत तेरे संग चलूँ ,
और कोई कहानी रहे न रहे।

साँस रुक जाए धड़कन की तो ग़म नहीं,
फिर भले जिंदगानी रहे न रहे।

दिल में छप जाए तेरे निशां प्यार की,
और कोई  निशानी रहे न रहे।

बस गुज़र जाए कुछ वक़्त सोहबत में तेरे,
रात कोई सुहानी रहे न रहे।

वाहवाही ग़ज़ल को मिले तुझसे जो,
दुनिया मेरी दीवानी रहे न रहे।

आ लकीरें मिला लें माथे की अभी ही,
फिर ये चेहरा नूरानी रहे न रहे।

चंद गीतों को सुनने की मोहलत भी दे दो,
जाने कब ये ज़ुबानी रहे न रहे।

थोड़े अश्कों की बूँदे बह जाने दे मेरे,
जाने आँखों में पानी रहे न रहे।

      
                    ®© अनंत महेन्द्र
                        १५/१२/२०१७