दो कदम ऐ मुहब्बत तेरे संग चलूँ ,
और कोई कहानी रहे न रहे।
साँस रुक जाए धड़कन की तो ग़म नहीं,
फिर भले जिंदगानी रहे न रहे।
दिल में छप जाए तेरे निशां प्यार की,
और कोई निशानी रहे न रहे।
बस गुज़र जाए कुछ वक़्त सोहबत में तेरे,
रात कोई सुहानी रहे न रहे।
वाहवाही ग़ज़ल को मिले तुझसे जो,
दुनिया मेरी दीवानी रहे न रहे।
आ लकीरें मिला लें माथे की अभी ही,
फिर ये चेहरा नूरानी रहे न रहे।
चंद गीतों को सुनने की मोहलत भी दे दो,
जाने कब ये ज़ुबानी रहे न रहे।
थोड़े अश्कों की बूँदे बह जाने दे मेरे,
जाने आँखों में पानी रहे न रहे।
®© अनंत महेन्द्र
१५/१२/२०१७
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