आज भगदड़ है, मन में हलचल है..
विचारों में टकराव, स्वयं में नभतल है..
उद्विग्नता बढ़ चली, रुग्णता चढ़ चली, निराशा का चीत्कार हर पल है..
आज भगदड़ है, मन में हलचल है..! "अनंत" महेन्द्र ©®
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