हमें कुछ भेड़ियों की खून की आदत नहीं दिखती।
हमें तब बेटियों पर आ रही आफत नहीं दिखती।
ये खतरे से नहीं खाली किसी पर यूँ भरोसा हो।
नकाबी नक्श के पीछे हमें सूरत नहीं दिखती।
किसी की शख़्सियत का बैठ अंदाज़ा लगाना मत।
किसी के शक्ल के पीछे छिपी फ़ितरत नहीं दिखती।
निगल जाते डकारे बिन सभी अज़गर जरा बचना।
अगर है चुप समंदर तो हमें जुर्रत नहीं दिखती।
किसी की कोशिशों का तुम जरा सम्मान कर लेना।
कि छोटी चींटियों में भीम सी कुव्वत नहीं दिखती।
सुनो ये मिल्कियत रह जायेगी मट्टी सरीखी ही।
खुदा को आदमी में दौलती मूरत नहीं दिखती।
अनंत महेन्द्र