Tuesday 20 March 2018

ग़जल


हमें कुछ भेड़ियों की खून की आदत नहीं दिखती।
हमें तब बेटियों पर आ रही आफत नहीं दिखती।

ये खतरे से नहीं खाली किसी पर यूँ भरोसा हो।
नकाबी नक्श के पीछे हमें सूरत नहीं दिखती।

किसी की शख़्सियत का बैठ अंदाज़ा लगाना मत।
किसी के शक्ल के पीछे छिपी फ़ितरत नहीं दिखती।

निगल जाते डकारे बिन सभी अज़गर जरा बचना।
अगर है चुप समंदर तो हमें जुर्रत नहीं दिखती।

किसी की कोशिशों का तुम जरा सम्मान कर लेना।
कि छोटी चींटियों में भीम सी कुव्वत नहीं दिखती।

सुनो ये मिल्कियत रह जायेगी मट्टी सरीखी ही।
खुदा को आदमी में दौलती मूरत नहीं दिखती।

                                            अनंत महेन्द्र

12 comments:

  1. बेहतरीन,,
    सादर

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  2. फॉलोव्हर का गैजेट लगाइए
    सादर

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  3. आपकी लिखी ये रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" मंगलवार 25 सितम्बर 2018
    को साझा धन्यवाद!की गई है...............http://halchalwith5links.blogspot.com पर आप भी आइएगा ....

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  4. वाह!!बहुत खूब!!

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  5. बहुत सुन्दर....

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  6. बहुत उम्दा अस्आर, हर शेर बेमिसाल।

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  7. किसी की कोशिशों का तुम जरा सम्मान कर लेना।
    कि छोटी चींटियों में भीम सी कुव्वत नहीं दिखती।

    सुनो ये मिल्कियत रह जायेगी मट्टी सरीखी ही।
    खुदा को आदमी में दौलती मूरत नहीं दिखती।!!!!!!
    शनदार शेरों से सजी रचना के लिए शुभकामनायें प्रिय अनंत जी |

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  8. सादर आभार आप सभी का..

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