Saturday 22 October 2016

नारी स्वरूप को समर्पित

चित्त दीप्त, हृदय विकल
मृगमयी दृग,अधर कोंपल
अगाध उदधि अश्रुपूरित
मन ज्वाला सी उद्विलित
सारगर्भित अपरिभाषित
सदैव दात्री न्यून अभिलाषित
माँ, भगिनी, भार्या स्वरूप
हे नारी! नमन "अनंत" रूप
              © अनंत महेन्द्र
                २१.१०.२०१६

No comments:

Post a Comment