चित्त दीप्त, हृदय विकल मृगमयी दृग,अधर कोंपल अगाध उदधि अश्रुपूरित मन ज्वाला सी उद्विलित सारगर्भित अपरिभाषित सदैव दात्री न्यून अभिलाषित माँ, भगिनी, भार्या स्वरूप हे नारी! नमन "अनंत" रूप © अनंत महेन्द्र २१.१०.२०१६
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