Tuesday, 13 December 2016

क्षुदा की आग

बड़ी लम्बी फेहरिस्त है
इंसानी कामयाबी की
कोटि-कोटि अरबों के धन
चाँद में पहुँच बैठे हैं जन
मीलों दूर बैठे बतियाए
बस छोटे यंत्र कान लगाए

हृदय, गुर्दे तक बदले जाते
मरने वाले बचा लिए जाते
फैली कीर्ति दसों दिशा में
खूब करी तरक्की इंसा ने
पर इंसा तभी इंसा कहलाते
आग प्रत्येक क्षुदा की बुझा पाते
                     अनंत महेन्द्र ©

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