आज फिर मिल गयी चलते-चलते
आँख फिर झुक गयी चलते-चलते
यूँ मेरे सामने से ना गुजरे वो।
साँस न रूक जाए चलते-चलते।
आज फिर मिल गयी चलते-चलते
आँख फिर झुक गयी चलते-चलते
पल भर में मैं जी गया बरसों।
वक्त ही थम गया चलते-चलते।
आज फिर मिल गयी चलते-चलते
आँख फिर झुक गयी चलते-चलते
मेरा हर रोम-रोम गवाह होगा।
कैसे दिल मचल गया चलते चलते।
आज फिर मिल गयी चलते-चलते
आँख फिर झुक गयी चलते-चलते
पर तेरा मुझसे अजनबी बनना।
सब कुछ कह गया चलते चलते।
©अनंत महेन्द्र