आज फिर मिल गयी चलते-चलते
आँख फिर झुक गयी चलते-चलते
यूँ मेरे सामने से ना गुजरे वो।
साँस न रूक जाए चलते-चलते।
आज फिर मिल गयी चलते-चलते
आँख फिर झुक गयी चलते-चलते
पल भर में मैं जी गया बरसों।
वक्त ही थम गया चलते-चलते।
आज फिर मिल गयी चलते-चलते
आँख फिर झुक गयी चलते-चलते
मेरा हर रोम-रोम गवाह होगा।
कैसे दिल मचल गया चलते चलते।
आज फिर मिल गयी चलते-चलते
आँख फिर झुक गयी चलते-चलते
पर तेरा मुझसे अजनबी बनना।
सब कुछ कह गया चलते चलते।
©अनंत महेन्द्र
बहुत खूब !
ReplyDeleteहिन्दी ब्लॉगिंग में आपका लेखन अपने चिन्ह छोड़ने में कामयाब है , आप लिख रहे हैं क्योंकि आपके पास भावनाएं और मजबूत अभिव्यक्ति है , इस आत्म अभिव्यक्ति से जो संतुष्टि मिलेगी वह सैकड़ों तालियों से अधिक होगी !
मानते हैं न ?
मंगलकामनाएं आपको !
#हिन्दी_ब्लॉगिंग