Wednesday, 10 January 2018

आँखों में पानी रहे न रहे...ग़ज़ल

212   212   212   212
दो कदम संग तेरे मुहब्बत चलूँ ,
और  कोई  कहानी रहे ना रहे।

साँस थम जाये मेरी मुझे ग़म नहीं,
फिर  भले  ज़िन्दगानी  रहे  ना  रहे।

दिल मे छप जाये तेरे निशाँ प्यार का,
और   कोई   निशानी  रहे  ना  रहे।

वाहवाही ग़ज़ल को मिले तुझसे जो,
फिर  ये  जोशे-रवानी  रहे  ना  रहे।

चंद नग़्में सुनो मेरे दिल की जरा,
जाने फिर ये ज़ुबानी रहे ना रहे।

आ लकीरें मिला ले जबीं(मस्तक,माथा) की अभी,   
जाने फिर ये जवानी रहे ना रहे।

बूँद बह जाने दे मेरे अश्कों के भी,
जाने आँखों मे पानी रहे ना रहे।
                   ©अनंत महेन्द्र

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