ग़ज़ल
किनारे का समंदर से भला ये फासला क्या है!
डुबा पाए न राही को सफ़र का रास्ता क्या है!
नया सा शौक लगता है तभी वो दर्द सुन लेते।
जरा पूछो उन्हें गीतों से मेरे वास्ता क्या है!
तुम्हारी लत नहीं अब छोड़ सकता छोड़ दूँ दुनिया ।
तुम्हीं से पूछता हूँ तुम बताओ मशवरा क्या है!
किए वादे निभाओ तब नया वादा बताओ फिर।
किया वादा अभी तोड़ा नया फिर वायदा क्या है!
फ़िकर तुम छोड़ दो मेरी मुझे कुछ भी नहीं होगा।
मुहब्बत के नशे में हूँ, अज़ी फिर मयकदा क्या है!
मुसलसल चाहना तुझको अगर ये पाप है कह दो।
भला खाते में मेरे अब तलक का कुल जमा क्या है!
अनंत महेन्द्र
ANANT MAHENDRA
किनारे का समंदर से भला ये फासला क्या है!
डुबा पाए न राही को सफ़र का रास्ता क्या है!
नया सा शौक लगता है तभी वो दर्द सुन लेते।
जरा पूछो उन्हें गीतों से मेरे वास्ता क्या है!
तुम्हारी लत नहीं अब छोड़ सकता छोड़ दूँ दुनिया ।
तुम्हीं से पूछता हूँ तुम बताओ मशवरा क्या है!
किए वादे निभाओ तब नया वादा बताओ फिर।
किया वादा अभी तोड़ा नया फिर वायदा क्या है!
फ़िकर तुम छोड़ दो मेरी मुझे कुछ भी नहीं होगा।
मुहब्बत के नशे में हूँ, अज़ी फिर मयकदा क्या है!
मुसलसल चाहना तुझको अगर ये पाप है कह दो।
भला खाते में मेरे अब तलक का कुल जमा क्या है!
अनंत महेन्द्र
ANANT MAHENDRA
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